Friday, January 16, 2015

आस्था बनाम आधुनिकता

छठ पर्व -एक ऐसा त्यौहार है जिसमे आस्था का महत्व तो है ही लेकिन परिवार को एक कड़ी के रूप में जोड़े रखने का कार्य करता था और है। हालाँकि वक्त के साथ हालत बदल गए , अब हर आदमी अपने गाँव नहीं जा पाता, विभिन्न प्रकार की समस्याओ के कारन जैसे कुछ आर्थिक ,कुछ काम का दबाब और कुछ टिकट के कारण। अब कही कही आस्था पर पैसा हावी होता हुआ दीखता है। मुझे याद है वो दिन जब हम सारे परिवार के लोग इकठा हुआ करते थे। कभी नानी के यहाँ तो कभी दादी के यहाँ। एक अलग आनद आता था लोगो से मिलने जुलने में। ना कोई अमीर ना कोई गरीब। बस एक ही भाव छठ पूजा करना है। पैसो की कोई हाय तौबा नहीं था। मोबाइल भी नहीं हुआ करता था समय ही समय था लोगों के पास, आज पैसा तो चारो तरफ दीखता है लेकिन अब वो प्रेम और व्यवहार कहा चला गया मालूम नहीं। आने वाली पीढ़ियाँ क्या करेगी मालूम नहीं।

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